राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Wednesday, May 6, 2009
हर खुशी से अब मैं दूर हूँ
हर किसी के ग़म में शरीक हूँ ,
हर खुशी से अब मैं दूर हूँ ,
ताकता हूँ खड़े -खड़े ,
कि मैं बहुत मजबूर हूँ
- कुलदीप अन्जुम
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