Saturday, November 12, 2011

मैंने ईश्वर को देखा है....... !


मैंने ईश्वर को देखा है !

जाड़े कि निष्ठुर रातों में !

गहरी काली बरसातों में !

कंपकपी छोडती काया में !

पेड़ों कि धुंधली छाया में !

ज़र्ज़र कम्बल से लड़ते !

मैंने ईश्वर को देखा है !!


फुटपाथों पे जीते मरते !

सांसों की गिनती करते !

भूख मिटाने की खातिर !

मजबूरी में जो हुए शातिर !

जाने किससे धोखा करते ?

मैंने ईश्वर को देखा है !!


कुछ टूटी सी झोपड़ियों में !

भूखी सूखी अंतड़ियों में !

बेबस से ठन्डे चूल्हों में !

ताज़े मुरझाये फूलों में !

कुछ आखिर मद्धम साँसों में !

ठंडी पड़ती सी लाशों में !

इंसानियत खोजते दुनिया में !

मैंने ईश्वर को देखा है !!


- कुलदीप अंजुम