Monday, February 27, 2012

बस यही एक ही तो दुनिया है !

चाहे खुश रहिये या खफा रहिये !!


- कुलदीप अंजुम

Sunday, February 26, 2012


तुम्हे मालूम है 
मैंने पा ली है ऊंचाई 
और हो गया हूँ आलोचना से परे 
इसलिए नहीं कि 
मैंने उसूलों को सींचा है उम्रभर 
वरन  इसलिए 
कि मुझे आता है हुनर 
पलटने का 
आंच के रुख के मुताबिक .........!

- कुलदीप अंजुम 

Friday, February 10, 2012


आदमी कि हार हो चुकी !
हर गली बज़ार हो चुकी !!

अब ख़ुशी क नाम भी नहीं !
ज़िन्दगी गुबार हो चुकी !!

आ गयी ये कौन सी घड़ी !
भूख कारोबार हो चुकी !!

है खुदा को क्या पता खबर !
मौत रोजगार हो चुकी !!

देखकर दरख़्त जल गए !
शाख छायदार  हो चुकी !! 

अब जियें तो कैसे फिर जियें !
साँस तो उधार हो चुकी !!


-- कुलदीप अंजुम 


बदलाव वक़्त कि ज़रुरत है
ज़िन्दगी ने यही सिखाया है
सब बदल गए
हवा , पानी , रुत औ फज़ाएँ
शायद बदल गया
अक्से गुनाह भी ....!
सुबह दफ्तर जाते वक़्त
एक वृद्धा देखी थी
ज़र्ज़र ,मलिन , धूसरित काया
माँस कहाँ ख़त्म
हड्डियाँ कहा शुरू ..
कुछ पता नहीं !
ज़िन्दगी से इसकदर अनमनापन
स्टेशन के एक कोने में
इतना बेबसपन...
मानो खुद के वजूद को ललकारती
इंसानियत को दुत्कारती
हर मुसाफिर को घूरती
जारी थी एक अबूझ सी खोज
ना जाने कब से
आखिर मदद के के हाथ
इतनी आसानी से तो नहीं मिलते ...!
मैंने भी डाली
एक बरबस सी
ठंडी निगाह......
और फिर ज़िन्दगी ने
जोर का धक्का दिया
शाम को वक़्त जब कुछ ठहरा
तन्हाई ने दामन थमा
तो आंख शर्म से झुक गयी
ना जाने क्यूँ लगा
कि
गुनाहगार तो मैं भी हूँ
उस बेरहम खुदा के साथ.........!!

Saturday, February 4, 2012


दलाल 
जो हाकिमों से कहते हैं 
की सब ठीक है 
तुम राजी हो ........

दलाल 
जो तुम्हे उकसाते हैं 
की सब बेमानी है 
नाइंसाफ़ी   है 
पीछे मत हटना ....

दलाल 
जो जो तुम पर लाठियां बरसवाएंगे 
दलाल
जो तुम्हारी चोटों को भुनाएंगे 

हाय कैसी ये विडम्बना 
हम मौन हैं 
और जिए जा रहे हैं 
इस दलालों के देश में !!!

- कुलदीप अंजुम