Monday, August 27, 2012


आज फिर उसी दरबार में हैं अष्टावक्र  
फिर से हो हा कर हंस पड़े उदंड दरबारी
फिर लज्जित हो गए हैं जनक 
अष्टावक्र इस बार नहीं दुत्कारते किसी को
नीचा कर लिया है सर 
शायद समझ गए हैं
दरबारियों की ताकत 
जनक की मजबूरी  
चमड़े की अहमियत 
और ज्ञान की मौजूदा कीमत !

- कुलदीप अंजुम 

Friday, August 24, 2012


उजाले आ गए हैं ज़िन्दगी में कुछ तो धोखे से !
रहे होंगे जो आवारा रुके होंगे न रोके से !!

- कुलदीप अंजुम 

Thursday, August 23, 2012


शाम की मुंडेर पर
कुछ सवाल बैठे हैं 
हाल पूछते हैं वो 

हाल क्या बताऊ में 
दिल की इस तबाही का 
ख्वाब ख्वाब सेहरा है 
जार जार बीनाई
एक ही तो किस्सा है 
फूल की जवानी का 
तुमने भी तो देखा है 
अंत इस कहानी का 

फिर भी उनसे कह देना 
मैं अभी भी जिंदा हूँ 
ख्वाब देखता हूँ मैं 
खूब सोचता हूँ मैं 


- कुलदीप अंजुम 

हमने खुद 
और पूरे होश में चुनी है 
घोंघे की रफ़्तार 
औरों  को बेतहाशा दौड़ते देख !

- कुलदीप अंजुम 


जिस उम्र में 
आपके घुटने नहीं चढ़ पाते सीढियां 
लगभग उसी उम्र में हया .
कुछ औरतें ढ़ोती है आठ ईंटे
अगर कभी दिख जाये 
तो ये मत कहना 
हालात मज़बूत बना देते हैं 
जादा नहीं ....बस एक बार 
खुदा के लिए 
शर्मिंदा हो जाना !!!

- कुलदीप अंजुम 


Friday, August 10, 2012



जिंदगी को आजमाया खो दिया !
ख्वाब से अब दिल लगाये बैठे हैं !!

मंजिलो तक कौन ले जाये मुझे !
रास्ते सब सर झुकाए बैठे हैं !!

गर्मी  बाज़ार को तो देखिये !
सब मसीहा फड लगाये बैठे हैं !!

मेरी आँखों में ही खाली अश्क हैं !
बाकी सब तो मुह छिपाए बैठे है !!

हसरतो ने आके आजिज़ जान दी !
फिर भी हम हिम्मत जुटाए बैठे हैं !!


- कुलदीप अंजुम