राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Wednesday, May 16, 2012
एक बार फिर नज़रन्दाज़ कर दिया गया
बगीचे के आखिर में लगा नागफनी
सराहा गया गुलाब
ये भूलकर कि
नागफनी ने नही लिया
अपने हिस्से का पानी भी
और दिया गुलाब को संवरने
- कुलदीप अंजुम
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