राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Saturday, July 14, 2012
मरने का कोई अफ़सोस न होता ...
अगर मुझे बता दिया जाता
मरने का सही सही वक़्त
और
कातिल का नाम !!
- कुलदीप अंजुम
बिलकुल भी थका नहीं था
फिर सोचा थक जाना चाहिए था
अब पाँव में दर्द है !
- कुलदीप अंजुम
ऐ खुदा !
तेरे वजूद पर शक है
खामोश क्यूँ है ......
दलीलें क्यूँ नहीं देता !!
- कुलदीप अंजुम
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