राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Wednesday, September 14, 2011
लोगन के रंग देखिये , मन छोटा कद
बाड़
!
जैसे दुनिया घेरकर , सूखा खड़ा पहाड़ !!
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