राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Thursday, August 23, 2012
हमने खुद
और पूरे होश में चुनी है
घोंघे की रफ़्तार
औरों को बेतहाशा दौड़ते देख !
- कुलदीप अंजुम
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