Thursday, August 23, 2012


शाम की मुंडेर पर
कुछ सवाल बैठे हैं 
हाल पूछते हैं वो 

हाल क्या बताऊ में 
दिल की इस तबाही का 
ख्वाब ख्वाब सेहरा है 
जार जार बीनाई
एक ही तो किस्सा है 
फूल की जवानी का 
तुमने भी तो देखा है 
अंत इस कहानी का 

फिर भी उनसे कह देना 
मैं अभी भी जिंदा हूँ 
ख्वाब देखता हूँ मैं 
खूब सोचता हूँ मैं 


- कुलदीप अंजुम 

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