Monday, May 11, 2009

क्या है परेशानी ............


ऐ खुदा! आज तू इतना बेईमान सा क्यों है ?
तेरे साये में हर शख्स परेशान सा क्यों है ?

तू ही मालिक है , ऐसा सुना है मैंने कहीं,
फ़िर हर इन्सान मेरा दुश्मने -जान सा क्यों है ?

क्यों सताता रहा है तू मुझको अक्सर ,
जान कर सब कुछ भी अनजान सा क्यों है?

अब तो हटा दो मेरे सर से गमो कि चादर को,
आज हर दर्द मुझपे इतना निगहेबान सा क्यों है ?

चाहता हू मैं भी दो घडी हंसकर यहाँ जीना ,
ले रहा हर पल मेरा इम्तिहान सा क्यों है ?

अब तो हर जख्म तेरी बफाओं को दफ़न करता है ,
फिर भी मुझे भरोसा-ऐ-बेमिसाल सा क्यों है?
तेरे दर को जाती थीं जो राहें मुश्किल ,
आज जाना वो इतनी सुनसान सी क्यों हैं?

यूँ तो मैं चाहता हू बन जाना कोई काफिर "अंजुम"
फिर भी जो मुझमे जिंदा है वोह , इन्सान सा क्यों है?
- कुलदीप अन्जुम

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