वादा करो.......
(यह चंद अल्फाज़ मैं मृत्युसे संघर्षरत अपनी बहन " निहारिका " को समर्पित करता हूँ, )
क्यों जाने की जिद कर रही हो ,
क्या अभी तुमको आए अरसा हुआ है?
रूककर जहाँ को जरा देख लो तुम ,
जहाँ में भी कभी कुछ अच्छा हुआ है
हमारा आशियाँ तुम उजाडो न ऐसे ,
अभी तो कुहासा कुछ हल्का हुआ है
एक वादा जरा रुकने का कर दो तो क्या है
हमेशा तुम्हारा भरोसा हुआ है- कुलदीप अन्जुम
Very touching....
ReplyDeleteespecially after reading these lines...
यह चंद अल्फाज़ मैं मृत्यु से संघर्षरत अपनी बहन को समर्पित करता हूँ
आज पहली बार यहाँ पे comment कर पाई हूँ ...वरना 'comment' की जगह खुलती नही थी ...आपकी तकलीफ और दर्द समझ सकती हूँ ...मैंने भी अपने एक बेहद अज़ीज़ भाई को खोया है .
ReplyDeleteits realllly touching ..
ReplyDeleteaur jo hua .. use sochkar to aur bhi zada takleef hui seene main ..
:-(