Friday, June 22, 2012

क्या अजब काम खैरख्वाही भी !



क्या अजब काम खैरख्वाही भी !
लूट के साथ रहनुमाई भी !!

है पशेमाँ बहुत खुदा अबके !
लोग कोसें भी, दें दुहाई भी !!

हाकिमे वक़्त ने सुना ही नही !
वक़्त रोया, कसम उठाई भी !!


ज़ुल्म की इन्तिहाँ तो कुछ  होगी
खुश नहीं अब तो आततायी भी !

और क्या चाहिए तुझे उससे !
होश है , साथ लब-कुशाई भी !!

- कुलदीप अंजुम 

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