Sunday, April 22, 2012

देश के सभी मजदूरों को समर्पित ....दिल्ली में बसे बिहारी मजदूर भाईओ    के हवाले से ....एक बहुत पुरानी मुक्तसर नज़्म ...

अपने घर से दूर
कहीं और कमाता खाता
जब चाहे तब  दुत्कार सहता
बेमौसम पीटा जाता
भगाया जाता 
सारी असुविधाओं का ज़िम्मेदार
सम्मान से 

अनजान

अपने रहनुँमाओ द्वारा  बिका हुआ 
सब कुछ सहने को मजबूर
भूख से कुचला हुआ
जमीर लिए
देश के निर्माण को समर्पित
कोई बिहारी

- कुलदीप अंजुम 

1 comment:

  1. मार्मिक..................

    उत्तम लेखन हेतु बधाई....

    अनु

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