Sunday, October 4, 2009

भारत के खेवनहार उठो ....



मजदूर उठो औ किसान उठो
ऐ मेहनतकश इन्सान उठो
अब वक़्त तुम्हारा है यारों
लेने अपना सम्मान उठो
ऐ मेहनतकश इन्सान उठो

हर मुश्किल का मुह तोड़ो तुम
दुर्दिन से लड़ना छोडो तुम
मत देखो यूँ होकर बेबस
ऐ भारत के खेवनहार उठो
ऐ मेहनतकश इन्सान उठो

कब तक यूँही सहते जाओगे
प्यासों को रक्त पिलाओगे
छोडो मजबूरी का दामन
करने को अस्त्र संधान उठो
ऐ भारत के खेवनहार उठो

आहों को चिंगारी में बदलो
खुरपी को कटारी में बदलो
इस नवयुग में नवक्रांति का
रचने को नया विधान उठो
ऐ भारत के खेवनहार उठो

- कुलदीप अन्जुम

2 comments:

  1. बहुत सुंदर सामाजिक मांग की पूर्ति वाला गीत है। इसे मजदूर किसान जमातों में खूब गाया जाएगा।

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  2. Ham sabhee is desh ke khevanhaar hain! Behad achhee rachna..! Apne girebaan me jhankne ka samay aa gaya hai! Loktantr jagrut ho...tabhee is deshkee naiyya paar lagegee.

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