राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Sunday, April 15, 2012
मैं अक्सर
उलझ जाता हूँ
खुद से ही ....
और खो देता हूँ
दूसरों के विरोध का
नैतिक अधिकार ....!
- कुलदीप अंजुम
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