Wednesday, September 22, 2010

मिली जो जिन्दगी तो पूंछेंगे !.....



वो ग़मे ज़िन्दगी से हार गया !

गया तो होके बेक़रार गया !!

इक वो था जो हमें समझता था !
वो यूँ गया जैसे सह्सवार गया !!

मैंने उसको दिखाए ख्वाब बहुत !
ये बहाना था जो बेकार गया !!

उसकी आँखों से दर्द झाँका था !
हौसले करके तार तार गया !!

उसके अहसान कुछ तो बाकी हैं !!
मुझे बना वो कर्जदार गया !!

मिली जो जिन्दगी तो पूंछेंगे !
क्या उसे हमसे नागवार गया !!

- कुलदीप अन्जुम


2 comments:

  1. बहुत अच्छी ग़ज़ल,
    काबिल-ए-तारीफ कलाम,
    तकरीबन सभी शेर,अच्छे लगे!

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  2. उसकी आँखों से दर्द झाँका था !
    हौसले करके तार तार गया !!

    उसके अहसान कुछ तो बाकी हैं !!
    मुझे बना वो कर्जदार गया !!

    मिली जो जिन्दगी तो पूंछेंगे !
    क्या उसे हमसे नागवार गया !!

    bahut khoob

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