Thursday, November 12, 2009

मोहतरमा शांति सबा की कुछ गजलें.....

उसको आना है और बेनकाब आएगा
जब तमन्ना पे मेरी शबाब आएगा

ज़ुल्मतों के पुजारी कहाँ जायेंगे
जब चमकता हुआ आफ़ताब आएगा

आजकल मुझसे वो बात करता नहीं
और अब क्या ज़माना ख़राब आयेगा

रंग लायेगा जब खून मजलूम का
वो ज़माना भी जल्दी जनाब आएगा

जुल्म के ताने बाने बिखर जायेंगे
वक़्त लेने जब अपना हिसाब आयेगा

मालिके मयकदा रिंद हो जायेंगे
मैकदे में नया इन्कलाब आएगा

साथ उसके सिवा कोई देगा नहीं
जब सबा का जमाना ख़राब आएगा

- मोहतरमा शांति सबा (मालवा, हिंदुस्तान)




जब नमाजे मोहब्बत अदा कीजिये
गैर को भी शरीके दुआ कीजिये

आंख वाले निगाहें चुराते नहीं
आइना क्यूँ ना हो सामना कीजिये

आंख में अश्के गम आ भी जाएँ तो
चंद कतरे तो हैं पी लिया कीजिये

आपका घर सदा जगमगाता रहे
राह में भी दिया रख दिया कीजिये

जैरे पा हैं समंदर की गह्रयियन
अब साहिल पे भी तजुर्बा कीजिये

- शांति सबा साहिबा



हम मोहब्बत का जाम लाये हैं
जज्बा ऐ अहतराम लाये हैं

हम सबा आप सबकी खिदमत में
मालवे का सलाम लाये हैं

- शांति सबा साहिबा

2 comments:

  1. शांति सबा साहिबा की गज़लें बहुत पसंद आई. आभार.

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  2. जनाब कुलदीप जी,
    मोहतरमा शान्ति सबा और आपकी सुन्दर रचना पढने का संयोग हुआ.
    बधाई स्वीकार करें...
    शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

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