Friday, August 7, 2009

एक शेर ......


तुझसे इकरार जो किया था कभी, कोई रब्त नहीं वहशत थी
अंजुमन में मेरी वो खामोशी शायद उस वक़्त की जरुरत थी

- कुलदीप अन्जुम

1 comment:

  1. मै हर बार कहती हूँ ,कि , आप गज़ब लिखते हैं ..! लेकिन आपको किसी अन्य ब्लॉग पे नही नज़र आते ..आपको लोग पढ़ें ,ऐसी मेरी दिली ख्वाहिश है ..!

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