गया तो होके बेक़रार गया !!
इक वो था जो हमें समझता था !
वो यूँ गया जैसे सह्सवार गया !!
मैंने उसको दिखाए ख्वाब बहुत !
ये बहाना था जो बेकार गया !!
उसकी आँखों से दर्द झाँका था !
हौसले करके तार तार गया !!
उसके अहसान कुछ तो बाकी हैं !!
मुझे बना वो कर्जदार गया !!
मिली जो जिन्दगी तो पूंछेंगे !
क्या उसे हमसे नागवार गया !!
- कुलदीप अन्जुम
बहुत अच्छी ग़ज़ल,
ReplyDeleteकाबिल-ए-तारीफ कलाम,
तकरीबन सभी शेर,अच्छे लगे!
उसकी आँखों से दर्द झाँका था !
ReplyDeleteहौसले करके तार तार गया !!
उसके अहसान कुछ तो बाकी हैं !!
मुझे बना वो कर्जदार गया !!
मिली जो जिन्दगी तो पूंछेंगे !
क्या उसे हमसे नागवार गया !!
bahut khoob