बापू तुझे सलाम .....
वजूद मिट गया मगर कुछ निशां बाकी है !
घर तो ज़ल चुका है बस मकां बाकी है !!
मौसमे बहार में फस्ले गुल उज़ड़ गयी !
रकीब तो नहीं रहा पर दास्तां बाकी है !!
मेरे खिलाये फूल को वो अपना नाम दे गया !
यही बहुत है आजतक कि गुलिस्तां बाकी है !!
मैंने अपने दौर में वो कैसा ख्वाब देखा था !
गुल तो सब उज़ड़ गए बागवां बाकी है !!
- कुलदीप अन्जुम
मौसमे बहार में फस्ले गुल उज़ड़ गयी !
ReplyDeleteरकीब तो नहीं रहा पर दास्तां बाकी है !!
Wah! Harek pankti qaabile taareef hai!
मेरे खिलाए फूल को वो अपना नाम दे गया
ReplyDeleteयही क्या कम है कि अब तक वो गुलिस्ताँ बाकी है !
खूब कहा ,बहुत बधाई !
बहुत खूब!
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