राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Saturday, March 31, 2012
वो जो था हादसा तबाही का !
खूब मौका था खैरख्वाही का !!
- कुलदीप अंजुम
Saturday, March 24, 2012
फिर यूँ हुआ कि आँख का पानी ही मर गया !
मुझको किसी से कोई भी निस्बत नहीं रही !!
- कुलदीप अंजुम
Friday, March 23, 2012
मैं अक्सर
उलझ जाता हूँ
खुद से ही .....
और खो देता हूँ
दूसरों के विरोध का
नैतिक अधिकार ....!
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