Thursday, October 15, 2009

उन वाकयों पे हम शरमायेंगे उम्र भर .........


तेरी नज़र से गिरके ना उठ पाएंगे उम्र भर
ये वो मरहला है जिस पे पछतायेंगे उम्र भर

सितमगर अजमा ले तू भी अपना जोरो दम
हर ज़ुल्म को सहेंगे औ मुस्कुराएंगे उम्र भर

पैदाइश के वक़्त गरीब को थी क्या खबर
कि ये लोग रोटियों को तरसायेंगे उम्र भर

क्या बात हूई ऐसी कि सितमगर तड़प उठा
खैर उसकी सलामती को मनाएंगे उम्र भर

जब तक हर मरहूम को हक उसका ना मिले
हम बारूद सा कलाम सुनायेंगे उम्र भर

देगा नहींखुदा जब तक हर जख्म का हिसाब
हम घर पे रिन्दों को पिलायेंगे उम्र भर

कुछ वाकये ऐसे अन्जुम तेरी दास्ताँ में है
कि उन वाकयों पे हम शरमायेंगे उम्र भर

- कुलदीप अन्जुम

2 comments:

  1. वाह!! बहुत बढिया गजल है।बधाई स्वीकारें।

    सितमगर अजमा ले तू भी अपना जोरो दम
    हर ज़ुल्म को सहेंगे औ मुस्कुराएंगे उम्र भर

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  2. बाली साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया
    अपने हौसला आफजाई की

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