राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Thursday, July 2, 2009
अरसे तक खुद से ही अनजान रहा था
यूँ तो मैं जानता हू सारी दुनिया को अब
पर एक अरसे तक खुद से ही अनजान रहा था
हंस दिए थे हम एक बार उनके कहने पर
कहने को अपना उनपे ये अहसान रहा था
-कुलदीप अन्जुम
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