जिंदगी है ख़ुशी के दो पल जाना !
टूटना ,संभलना , फिर बिखर जाना
ज़िन्दगी के पल ख़ुशी से गुजर जाना !
हंस लो दो पल खुदा की मर्ज़ी से
वैसे तो है ये मौत का सफ़र जाना !आते जाते लोग रास्ते में मिलते हैं कोंई न किसी का हमसफ़र जाना !जी नहीं सकते यूँ ही चुपचाप से ज़िन्दगी इतनी भी न मुक्तसर जाना !-कुलदीप अन्जुम
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