Thursday, July 2, 2009

जिंदगी है ख़ुशी के दो पल जाना !


टूटना ,संभलना , फिर बिखर जाना
ज़िन्दगी के पल ख़ुशी से गुजर जाना !

हंस लो दो पल खुदा की मर्ज़ी से
वैसे तो है ये मौत का सफ़र जाना !


आते जाते लोग रास्ते में मिलते हैं
कोंई न किसी का हमसफ़र जाना !

जी नहीं सकते यूँ ही चुपचाप से
ज़िन्दगी इतनी भी न मुक्तसर जाना !

-कुलदीप अन्जुम

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