राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Sunday, May 31, 2009
शेर
कैसे कह दू की जशन की कोई कीमत नहीं होती
वर्ना क्यों हमारी एक पल की ख़ुशी उम्र भर रोती
-कुलदीप अन्जुम
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