Sunday, April 19, 2009

बदनाम मयखाने हुए



अब नही मिलते जहाँ में ,
लोग कुछ सुलझे हुए

जिस तरफ़ देखो जहाँ भी ,
हैं सभी उलझे हुए

अपने ग़म हैं , अपनी खुशी है ,
अपने अफसाने हुए ,

कुछ भरी महफिल में ,
अपनों में भी बेगाने हुए

है यहाँ किसको ख़बर अब ,
सब तो परवाने हुए

देख " अंजुम " इस जहाँ में ,
कैसे कैसे अफसाने हुए ?

पीते हैं यहाँ लोग पर ,
बदनाम मयखाने हुए


- कुलदीप अन्जुम

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