राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Saturday, July 14, 2012
बिलकुल भी थका नहीं था
फिर सोचा थक जाना चाहिए था
अब पाँव में दर्द है !
- कुलदीप अंजुम
1 comment:
ANULATA RAJ NAIR
Sunday, July 15, 2012 10:07:00 AM
बहुत सुन्दर....
अनु
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बहुत सुन्दर....
ReplyDeleteअनु