आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
तुम्हे मालूम हैमैंने पा ली है ऊंचाईऔर हो गया हूँ आलोचना से परेइसलिए नहीं किमैंने उसूलों को सींचा है उम्रभरवरन इसलिएकि मुझे आता है हुनरपलटने काआंच के रुख के मुताबिक .........! KULDEEP BHAI KAMAAL KAR DIYA HAI.... WAAHH..
बहुत खूब............अनु
तुम्हे मालूम है
ReplyDeleteमैंने पा ली है ऊंचाई
और हो गया हूँ आलोचना से परे
इसलिए नहीं कि
मैंने उसूलों को सींचा है उम्रभर
वरन इसलिए
कि मुझे आता है हुनर
पलटने का
आंच के रुख के मुताबिक .........! KULDEEP BHAI KAMAAL KAR DIYA HAI.... WAAHH..
बहुत खूब............
ReplyDeleteअनु