राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Saturday, December 17, 2011
कविता जीना कितना मुश्किल....!
कविता लिखना कितना आसाँ , कविता जीना कितना मुश्किल !
आंसू रोना कितना आसाँ , आंसू पीना कितना मुश्किल !!
- कुलदीप अंजुम
1 comment:
विभूति"
Saturday, December 17, 2011 7:45:00 PM
बहुत खूब.....
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बहुत खूब.....
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