Tuesday, December 22, 2009

गुलाब कौन है , ये वक़्त को मालूम नहीं ...


गुलाब कौन है , ये वक़्त को मालूम नहीं
हमपे खुशबू का है इल्ज़ाम तो इल्जाम सही

फकत अंदाज़ ही बदला है बात ना बदली
नया किरदार तो है पर रही है बात वही

शरीफ लोग हैं ये इनसे बच सको तो बचो
बह न पाओगे , कर देंगे दूध से ये दही

खुदा करे कि इस चमन में वो दिन आए
जब गलत चीज हो गलत औ सही बात सही

जुबां तो चुप है मगर आंख कर रही है बयां
पल में हो गयी जाहिर जो अब तक न कही


- कुलदीप अन्जुम

6 comments:

  1. जुबां तो चुप है मगर आंख कर रही है बयां
    पल में हो गयी जाहिर जो अब तक न कही
    waah! Behad sundar rachna!

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  2. लाजवाब; धन्‍यवाद.

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  3. खूबसूरत गज़ल
    बहुत बधाई
    arunmisir.blogspot.com

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