एक कठपुतली हूँ मैं ||
न कोई तकदीर
न ही कोई तस्वीर
दुसरों के इशारो पर
नाचने को मजबूर
एक कठपुतली हूँ मैं
ना मेरा कोई जज्बात
ना कोई विसात
दुसरों को सन्देश देती
खुद बेजुबान
एक कठपुतली हू मैं
मेरे आंसू मेरी खुशी
कभी मेरे थे ही नहीं
पर औरो को हंसने रोने को
मजबूर करती
एक कठपुतली हूँ मैं
कही और है मेरी डोर
लगातार तलाशती हूँ ठौर
सामने बैठी भीड़ के साथ
एकाकी पन से जूझती
एक कठपुतली हूँ मैं-कुलदीप अन्जुम
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