राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Thursday, May 28, 2009
मैंने रोने को कहा तो खिल खिला कर हंस दिये
जब सबब पूछा तो बोले मंजर तेरी बर्बादी का है
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