शाम की मुंडेर पर
कुछ सवाल बैठे हैं
हाल पूछते हैं वो
हाल क्या बताऊ में
दिल की इस तबाही का
ख्वाब ख्वाब सेहरा है
जार जार बीनाई
एक ही तो किस्सा है
फूल की जवानी का
तुमने भी तो देखा है
अंत इस कहानी का
फिर भी उनसे कह देना
मैं अभी भी जिंदा हूँ
ख्वाब देखता हूँ मैं
खूब सोचता हूँ मैं
- कुलदीप अंजुम
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