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करिया ऐ दर्द पे दीवार उठाये रखना
साख जब बन ही गयी है तो बनाये रखना
रहगुज़र पर न सही तेज़ हवाएं हैं अगर
घर के अन्दर तो चरागों को जलाये रखना
नागहाँ कोई न आसार मिटा दे इसके
नक्श एक और पशे नक्श बनाये रखना
बात परदे से तसन्नो के झलक जाएगी
इसलिए जख्म तहे जख्म छुपाये रखना
मौसमे खुश्क में खुशबू का तसब्बुर तो रहे
ताक में फूल की तस्वीर सजाए रखना
- यासमीन हमीद साहिबा
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मुफलिस साहब कहते हैं कि
ReplyDelete"baat parde se tsannau ke jhalak jaayegi
isliye zakhm, tahe-zakhm chhipaayr rakhnaa"
gzl ka ye sher apni misaal aap hi hai
lajwaab....umdaa !!
Yaasmeen Hameed Sahiba ko
mubaarakbaad .
thanks!
बहुत बहुत शुक्रिया मुफलिस साहब
साभार कुलदीप अन्जुम