राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Wednesday, October 28, 2009
अब मैं तेरा ख्वाहिशमंद नहीं .......
.
ये खुशबू , कि तेरी खुसबू जो अब मूझे पसंद नहीं
जा दूर जा ऐ वेबफा अब मैं तेरा ख्वाहिशमंद नहीं
-कुलदीप अन्जुम
.
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment