Saturday, July 11, 2009
मूझे सामाने आराइश बनाया जा रहा है क्यूँ ?............
हमें फिर आज अंजुमन में बुलाया जा रहा है क्यूँ ?
हमारी इल्तिफ़ात पर सवाल उठाया जा रहा है क्यूँ ?
नहीं नाकस नफस अपनी बस नादारी का मारा हूँ
फिर भी हमें तारीक में घुमाया जा रहा है क्यूँ ?
अभी लौटा हूँ हिजरत से खुदाया अब तो बख्शो कुछ
हमी को फिर गिर्दाबो से भिडाया जा रहा है क्यूँ ?
दे दिया आसिम करार हमें बिना किसी अस्बाब के
सजाये अश्फाक में फांसी चढाया जा रहा है क्यूँ ?
हमारा तो हर करम ही उरूजे -अंजुमन को था ,
फिर हमें नालिशे पारदारी बताया जा रहा है क्यूँ ?
ऐसा क्या गज़ब हुआ जो हमने मांग की फिरदौस की
जबरन किसी की तिश्नगी को दबाया जा रहा है क्यूँ ?
जुडा रहने दो जरा मुझको "अन्जुम " मेरे असास से
मूझे सामाने -आराइश ......बनाया जा रहा है क्यूँ ?
- कुलदीप अन्जुम
इल्तिफात- वफ़ा ,दोस्ती
नाकस - मूल्यहीन ,घटिया
नफस -आत्मा ,सांसें
नादारी- गरीबी
तारीक -अँधेरा
हिजरत -लम्बी यात्रा
गिर्दाब -तूफान
आसिम - दोषी ,पापी
अस्बाब - सबूत ,कारण
अशफाक -सहारा ,अनुग्रह ,कृपा
फिरदौस -जन्नत
तिश्नगी - इक्छा ,अभिलाषा ,ख्वाहिश
उरूजे अंजुमन -महफ़िल की भलाई ,कल्याण
नालिश -आरोपी
पारदारी -नाइंसाफी , पक्षपात
असास -नींव ,ज़मीन
आराइश- सजाबट
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bahut umda Nazam hui hai yeh to .... Badhai..!
ReplyDeletebahut shaandaar gazal kahi hai
ReplyDeleteKulddep har sher apne aap mein mukmmal
Lajawab... khub hai bhai... bahut accha... meri subhkamanyein hai..likhte rahein
ReplyDeleteGovind Sharma,
Jamshedpur