राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Monday, June 1, 2009
दोस्त पुराना न मिला
जिसकी खातिर तुने अपना शहर छोडा अंजुम
वो इतनी तंग दिल निकली की ठिकाना न मिला
ओढ़ लिया जबसे हमने शिकायतों का कफ़न
तबसे कोई भी दोस्त पुराना न मिला
-कुलदीप अन्जुम
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