राही फिर अकेला है
आजा ज़िन्दगी आज फ़िर तुझे पुकारता हूँ मैं , कि राही फ़िर अकेला है...........
Monday, May 25, 2009
शेर
इन्सां की अपनी सीमाएं , इन्सां की अपनी मजबूरी
फ़िर भी यारो इस दुनिया में खुलकर जीना बहुत ज़रूरी
- कुलदीप अन्जुम
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